ऑपरेशन दोस्त के बदले धोखा? तुर्की से टूटा भारत का भरोसा"






 






ऑपरेशन दोस्त के बदले धोखा? तुर्की से टूटा भारत का भरोसा"








1. पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना क्यों बंद किया? जानिए इसके पीछे की देशभक्ति


हाल ही में भारत और तुर्की के रिश्तों में खटास आ गई है। तुर्की ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया, जिससे भारत के नागरिकों में गुस्सा है। इस गुस्से का असर अब व्यापार पर भी दिखने लगा है। पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना बंद कर दिया है।


पुणे APMC के सेब व्यापारी सुयोग जेंडे कहते हैं, "यह हमारा देशभक्ति से जुड़ा कदम है। हम अब हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान से सेब मंगवा रहे हैं। जब तुर्की में भूकंप आया था, भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी, लेकिन अब तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भरोसा तोड़ा है।"


यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय अब जागरूक हैं और अपने पैसों से किसी देश का समर्थन नहीं करेंगे जो भारत के विरोध में खड़ा हो।



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2. सेब से शुरू हुआ विरोध: भारत में तुर्की के खिलाफ नया रुख


तुर्की के पाकिस्तान-समर्थन वाले रुख ने भारत में लोगों को नाराज़ कर दिया है। इस गुस्से का असर अब आम जीवन में भी देखने को मिल रहा है। पुणे के व्यापारी अब तुर्की से सेब खरीदने से मना कर चुके हैं और देशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।


हर साल तुर्की के सेबों का भारत में करोड़ों का कारोबार होता है, लेकिन अब यह आंकड़ा गिरता नज़र आ रहा है। सोशल मीडिया पर भी 'Boycott Turkey' ट्रेंड कर रहा है, और ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्की टूर पैकेज रद्द कर दिए हैं।


क्या यह सिर्फ शुरुआत है? ऐसा लगता है कि भारत के लोग अब सिर्फ भावना से नहीं, सोच-समझ कर खर्च कर रहे हैं।





3. 'ऑपरेशन दोस्त' के बाद भी धोखा? भारतीयों की तुर्की से नाराज़गी बढ़ी


जब तुर्की में भूकंप आया था, भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत मदद भेजी। लेकिन उसी तुर्की ने हाल ही में पाकिस्तान का साथ देकर भारत का दिल तोड़ दिया। इसका असर अब आम लोगों के फैसलों में दिख रहा है। पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब मंगवाना बंद कर दिया है।


व्यापारी सुयोग जेंडे ने कहा, "हमने तुर्की का साथ छोड़ दिया है क्योंकि उसने पाकिस्तान का समर्थन किया। देश पहले है, व्यापार बाद में।"


इस कदम को आम लोगों का भी समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर तुर्की के टूरिज्म बोर्ड की अपील वायरल हो रही है, लेकिन भारतीयों का जवाब साफ है — 'देश से बढ़कर कुछ नहीं।'





4. देशभक्ति या मार्केटिंग रणनीति? तुर्की से सेब बायकॉट पर बहस


क्या पुणे के व्यापारियों का तुर्की से सेब न खरीदने का फैसला पूरी तरह देशभक्ति है, या इसके पीछे एक नई व्यापारिक रणनीति भी छिपी है?


जहाँ एक ओर व्यापारी इसे राष्ट्र के समर्थन में लिया गया कदम बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इससे स्थानीय सेब उत्पादकों को बड़ा फायदा मिल रहा है। हिमाचल और उत्तराखंड के किसान इस फैसले से खुश हैं।


हालाँकि बात सिर्फ सेब की नहीं है — यह एक संदेश है कि भारतीय अब अपने हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। तुर्की को यह समझना होगा कि भावनात्मक रिश्तों का व्यापार पर गहरा असर होता है।




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